by dinjos12 on Mon Mar 30, 2009 4:25 am
चन्द्रघंटा देवी का यह स्वरुप काफी महत्त्वपूर्ण है चन्द्र व घंटा दोनों एकदम उल्टे स्वाभाव के है जिसमे चन्द्रमाँ शांति का प्रतीक व घंटा नाद का, मान्यता है की असुरासुर संग्राम में देवी ने इसी नाद से अनेक असुरो का संहार किया था, गायन बादन आदि दोनों ही नाद के प्रतीक है